शुभ अप्राह्न
आज (21-2-22) का दिन इंपीरियल हेरिटेज़ स्कूल में `मातृभाषा दिवस’ के रूप में मनाया गया। मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्प्रेरित भी करती है। मातृभाषा ही किसी भी व्यक्ति के शब्द और संप्रेषण कौशल की उद्गम होती है। एक कुशल संप्रेषक अपनी मातृभाषा के प्रति उतना ही संवेदनशील होगा जितना विषय-वस्तु के प्रति। मातृभाषा व्यक्ति के संस्कारों की परिचायक है। मातृभाषा से राष्ट्र के संस्कृति की संकल्पना अपूर्ण है। मातृभाषा मानव की चेतना के साथ-साथ लोकचेतना और मानवता के विकास का भी अभिलेखागार होती है।
किसी भी समाज की स्थानीय भाषा (मातृभाषा) उस समाज के संस्कृति की परिचायक ही नहीं बल्कि आर्थिक संपन्नता का आधार भी होती है। मातृभाषा का नष्ट होना राष्ट्र की प्रासंगिकता का नष्ट होना होता है। मातृभाषा को जब अर्थव्यवस्था की दृष्टि से समझने की कोशिश करते हैं तो यह अधिक प्रासंगिक और समय सापेक्ष मालूम पड़ता है। किसी भी समाज की संस्कृति समाज के खानपान और पहनावे से परिभाषित होती है, यही खानपान और पहनावा जब अर्थव्यवस्था का रूप ले लेता है तो यह ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
‘मातृभाषा दिवस’ को यादगार बनाने व छात्रों को इसके प्रति जागरुक करने के लिए विषय हिंदी व संस्कृत की विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। विषय हिंदी की गतिविधियों में नर्सरी कक्षाओं के लिए अध्यापिका द्वारा कहानी का सस्वर वाचन किया गया। इसके अलावा अन्य कक्षाओं के लिए - नारा लेखन, संदेश लेखन, पोस्टर बनाना आदि गतिविधियों का आयोजन किया गया । विषय- संस्कृत में छात्रों द्वारा श्लोकों का सस्वर वाचन, पोस्टर बनाना व मेहंदी का सुंदर तरीके प्रयोग करके संस्कृत भाषा में उंगलियों के नाम आदि गतिविधियों का आयोजन किया गया । छात्रों ने सभी गतिविधियों में उत्साहपूर्ण भाग लिया और इस दिन को यादगार बनाया। अध्यापिका द्वारा छात्रों की हौसला-अफ़ज़ायी भी की गई।
धन्यवाद!